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21 की उम्र में तय किया IIT से UPSC का सफर, फिर दिल की सुनी आवाज, इसलिए छोड़ी नौकरी

21 की उम्र में तय किया IIT से UPSC का सफर, फिर दिल की सुनी आवाज, इसलिए छोड़ी नौकरी

Image Source : KASHISHMITTAL/INSTAGRAM
कशिश मित्तल।

भारत में UPSC को अक्सर जिंदगी की सबसे बड़ी विजय माना जाता है, वो मुकाम, जिसके लिए लोग सालों तक तपस्या करते हैं। इस परीक्षा को पास करने वाले को समाज में एक अलग ही सम्मान की नजर से देखा जाता है। ऐसे में अगर कोई शख्स UPSC के बाद मिली चमकदार जिंदगी को एक पल में पीछे छोड़ दे तो बात हैरान भी करती है और प्रेरित भी। कशिश मित्तल की कहानी ऐसी ही दुर्लभ मिसाल है, जहां सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद भी उन्होंने अपनी अंदर की पुकार को सुना और उसी रास्ते पर चल दिए, जिसका ख्याल भी बहुत लोग नहीं कर पाते।

दिल्ली की गलियों से सुरों की दुनिया तक

कशिश मित्तल का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। दिल्ली की भीड़, सिविल सेवा की चमक, IIT की प्रतिष्ठा, इन सभी को पीछे छोड़कर उन्होंने अपने असली सपने की राह पकड़ी। IIT दिल्ली से कंप्यूटर साइंस में बीटेक, JEE में ऑल इंडिया 6वीं रैंक और सिर्फ 21 साल की उम्र में IAS अधिकारी बन जाना… यह किसी के लिए भी रोलर कोस्टर जैसी सफलता है। लेकिन यह सपना कशिश का नहीं था, उनके मन का संगीत तानपुरे की गूंज, रियाज की गहराई और रागों की सुगंध में बसता था।

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बचपन में ही मिल गया था सुरों का सहारा

1989 में जालंधर में जन्मे कशिश के घर में अनुशासन भी था और संगीत की धुन भी। पिता वरिष्ठ IPS अधिकारी, और मां संगीता मित्तल, जिन्होंने बचपन से ही उन्हें संगीत की ओर मोड़ा। आठ साल की उम्र में शास्त्रीय संगीत की शुरुआत और ग्यारह की उम्र में हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन जैसे प्रतिष्ठित मंच पर प्रस्तुति, इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धियां बताती हैं कि संगीत उनके भीतर बहुत गहरे तक बसा हुआ था। वे कहते हैं, ‘मेरी संगीत यात्रा तो IAS बनने की कल्पना से भी पहले शुरू हो चुकी थी। IIT और UPSC की तैयारी के बीच भी संगीत मेरे भीतर शांत लेकिन मजबूत रूप में मौजूद था।’ उनकी गायकी आगरा घराने की परंपरा से जुड़ी है और उन्होंने उस्ताद पंडित यशपाल से गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से यह कला सीखी। आज वे AIR और दूरदर्शन के A ग्रेड कलाकार हैं और ICCR द्वारा भी मान्यता प्राप्त कर चुके हैं।

प्रशासनिक सेवा में भी छुआ शिखर

कशिश ने प्रशासनिक क्षेत्र में भी बेहद प्रभावशाली काम किया। उन्होंने कई पदों पर सेवा दी, चंडीगढ़ के अतिरिक्त उपायुक्त, तवांग (अरुणाचल प्रदेश) के उपायुक्त और नीति आयोग में शीर्ष पद पर भी रहे। साफ था कि वे अपने करियर के शिखर पर थे, लेकिन उनके भीतर का कलाकार अब और समझौता नहीं करना चाहता था। 2019 में अरुणाचल प्रदेश में उनके तबादले के बाद उन्होंने नौ साल की सेवा पूरी कर इस्तीफा दे दिया। दिल में न कोई पछतावा था, न कोई दुविधा, सिर्फ अपने असली रास्ते की ओर कदम बढ़ाने का आत्मविश्वास। IAS छोड़ने के बाद उन्होंने तकनीकी क्षेत्र में कदम रखा। माइक्रोसॉफ्ट में प्रिंसिपल रिसर्च प्रोग्राम मैनेजर के रूप में पांच साल काम करने के बाद मार्च 2025 में उन्होंने दिशा AI की स्थापना की, एक ऐसा स्टार्टअप जो AI, तकनीक और सामाजिक प्रभाव को एक साथ लाता है।

एक वायरल सुर, जिसने लाखों दिलों को छू लिया

आज कशिश सोशल मीडिया पर भी उतने ही सहज हैं जितने किसी स्टेज पर। हाल ही में उन्होंने नुसरत फतेह अली खान के गीत ‘उनके अंदाज ए करम’ को दोस्तों के बीच बैठकर बेहद सरल अंदाज में गाया, और यह वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया। इस पर 2 मिलियन से ज्यादा व्यूज आए और लोग भावुक होकर उनकी गायकी की तारीफ करते रहे। कैप्शन में उन्होंने लिखा, ‘वो भी अपने न हुए, दिल भी गया हाथों से।’ कला और संस्कृति में उनके योगदान को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, पंजाब राज्य पुरस्कार, नाद श्री सम्मान, IIT दिल्ली का सरस्वती सम्मान और राष्ट्रीय छात्रवृत्तियां जैसे NTSE और CCRT फेलोशिप।

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