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वो एक्टर जिसकी फिल्मों ने 40 हफ्तों तक किया राज, 1 नहीं 9 बार बनाया रिकॉर्ड

वो एक्टर जिसकी फिल्मों ने 40 हफ्तों तक किया राज, 1 नहीं 9 बार बनाया रिकॉर्ड

Image Source : INSTAGRAM@NFAIOFFICIAL
दादा कोंडके

एक दौर था जब सिनेमाई दुनिया में मराठी फिल्में किसी सूरत में भी हिंदी फिल्मों से कम नहीं थीं। आज भले ही हिंदी और मराठी सिनेमा के कद में अंतर बड़ा हो गया है लेकिन मराठी सिनेमा कला मायनों के गहरे रंगों से पोषित है। मराठी सिनेमा में भी एक ऐसा हीरो हुआ है जिसकी फिल्में 40 हफ्तों तक थियेटर्स में चलती थी और नेशनल अवॉर्ड भी जीत चुके हैं। इतना ही नहीं ये मराठी सुपरस्टार सिनेमा तक सीमित नहीं रहा बल्कि एक बेहतरीन नेता भी रह चुके हैं। हम बात कर रहे हैं दादा कोंडके की जिसका असल नाम कृष्णा कोंडके थे। 1932 में गुलाम भारत में जन्मा ये कलाकार 14 मार्च 1998 को इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं।

दादा कोंडके कौन थे?

8 अगस्त, 1932 को मुंबई के लालबाग में एक साधारण कोंकण परिवार में जन्मे दादा कोंडके का असली नाम कृष्णा कोंडके था। वे अपनी हास्य शैली के साथ-साथ द्विअर्थी संवादों के लिए भी जाने जाते थे। दादा कोंडके का बचपन नायगांव की एक चॉल में बीता और यही उनके व्यक्तित्व का अभिन्न अंग बन गया। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्होंने अपना बाजार में काम करना शुरू कर दिया। बाद में वे सेवादल बैंड में शामिल हो गए, जो कला के क्षेत्र में उनका पहला कदम था। उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1969 में भालजी पेंढारकर की फिल्म ताम्बड़ी माटी से की। दो साल बाद 1971 में सोंगद्या ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। इस फिल्म में उनके किरदार ‘नम्या’ की सादगी और हास्य ने दर्शकों को दीवाना बना दिया।

जब उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ

इसके बाद उन्होंने पांडु हवलदार, अंधाला मारतो डोला, राम राम गंगाराम और बोट लाविन तिथे गुदगुल्या जैसी फिल्मों में काम किया, जिसने उन्हें मराठी सिनेमा का बेताज बादशाह बना दिया। इतना कि उनकी 9 फिल्में सिनेमाघरों में 25 हफ्तों तक हिट रहीं, जिसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ। दादा की फिल्मों की पहचान उनके द्विअर्थी संवादों और बोल्ड शीर्षकों से होती थी, जैसे अंधेरी रात में और खोल दे मेरी जुबान। शीर्षक और संवाद सेंसर बोर्ड के लिए चुनौती बन जाते थे, लेकिन दादा की चतुराई और राजनीतिक प्रभाव ने उनकी फिल्मों को प्रतिबंधित होने से बचा लिया। उन्होंने मराठी के साथ-साथ हिंदी और गुजराती फ़िल्में भी बनाईं। उनकी प्रोडक्शन कंपनी, कामाक्षी प्रोडक्शंस, ने उषा चव्हाण, महेंद्र कपूर और राम-लक्ष्मण जैसे अभिनेताओं के साथ कई हिट फिल्में दीं। इतना ही नहीं दादा कोंडके कांग्रेस के समर्थक दल रहे सेवा दल में भी काफी सक्रिय रहे।

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