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एहसान फरामोश हैं? आप की अदालत में बॉलीवुड गानों को चाट मसाला-खिचड़ी क्यों बोले कैलाश

एहसान फरामोश हैं? आप की अदालत में बॉलीवुड गानों को चाट मसाला-खिचड़ी क्यों बोले कैलाश

Image Source : INDIA TV
आप की अदालत में कैलाश खेर।

Kailash Kher in Aap Ki Adalat: लोकप्रिय टीवी शो ‘आप की अदालत’ में इस बार रजत शर्मा के मेहमान मशहूर गायक और संगीतकार कैलाश खेर थे। कैलाश खेर ने इस शो में बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के गानों को लेकर कई तरह के खुलासे किए। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें बॉलीवुड के सॉन्ग क्यों पसंद नहीं आ रहे हैं। कैलाश खेर ने इंडिया टीवी के एडिटर इन चीफ रजत शर्मा के कई सवालों का जवाब दिया और उन पर लगे आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़ी। कैलाश खेर से जब आप की अदालत के कटघरे में पूछा गया कि इतना कुछ आपको फिल्म इंडस्ट्री ने दिया और आप कह रहे हैं कि यह सब चाट मसाला है। क्या कैलाश खेर एहसान फरामोश है? जाने इस पर उन्होंने क्या कहा।

रजत शर्मा – कैलाश जी आपको शोहरत मिली फिल्म के गाने से आपको पैसा मिला, नाम मिला, पहचान मिली फिल्म के गाने से लेकिन जब सफल हो गए आप कहने लगे ये जो फिल्म के गाने चाट मसाला है, एक खिचडी है ये बेकार है।

कैलाश खेर – देखिए साहब हम गए थे एल्बम बनाने और एल्बम को भी थोड़ा तहजीब वाला संगीत बनाना क्योंकि जो फिल्मी संगीत होता है। वो बहुत सारी चीजों का मिक्सचर होता है और उस के लिए हम बहुत ताबेदार हैं। परमात्मा ने हमको फिल्मों में गवाया और गवाया जा रहा है हम बहुत-बहुत गाते हैं। हम जो भी गाना गाते थे वो हिट हो जाता था। अच्छा और इतना हिट होता था की एक गाना 100 गानों पर भारी पड़ता था। कुदरतन बात हुई की उन गानों में फिल्मों में भी फिर हमारे लिए अच्छे गाने लिखे जाने लगे तो और उनका मीनिंग मोटिवेशनल हुआ। बाद में तो भगवान शिव के गाने हमें मिलने लगे। अब साउथ के जितने गाने गाते हैं। मान लीजिए 100 गाने तेलुगु में, कन्नड़ में, तमिल में है तो उनमें से साहेब लगभग 60 गाने जो हैं वो भगवान शिव पर होते हैं तो कुदरतन बात है।

रजत शर्मा – यही तो मैं कह रहा हूं ये एहसान फरामोशी नहीं है कि इतना कुछ आपको फिल्म इंडस्ट्री ने दिया और आप कह रहे हैं कि चाट मसाला है।

कैलाश खेर – हां लेकिन अब मैं वही बिंदु बता रहा हूं।

रजत शर्मा – मुझे लगा आप भाग रहे हैं सवाल से।

कैलाश खेर – ना ना ना ना ना साहेब कभी भाग न पाएंगे क्योंकि भाग के तो जन्म जी लिया अब तो ये जन्म तो डट के रहना है। बस ये बताना है आपको कि हमारे भारत में एक ऐसा संगीत है जो घर-घर में, गांव-गांव में सुना, गाया और समझा जाता रहा है। जिसको हम फोक म्यूजिक कहते हैं। लोक संगीत और लोक संगीत जो है धीरे-धीरे मिटता जा रहा है। फैशन जो है। ये फिल्में कब से आई हैं? रजत जी कुल 100 सवा 100 साल से। फिल्मों से पहले भी तो भारत में कुछ था ना। पहले भी संगीत था और मैं कहता हूं, जितने भी संगीत के प्रकार भी हमारे साहब बने बैठे हैं जो शास्त्रीय संगीत भी हैं वो भी फोक से आया है। हमारे लोक संगीत से आया है। लोक संगीत की विशेषता क्या है? वो सिर्फ मनोरंजन नहीं होता।

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