
आप की अदालत में कैलाश खेर।
Kailash Kher in Aap Ki Adalat: जाने माने गायक और संगीतकार कैलाश खेर किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वे अपनी सुरीली आवाज के अलावा अपने हिट गानों जैसे ‘रब्बा इश्क ना होवे’, ‘अल्लाह के बंदे’, ‘तुझे मैं प्यार करू’ और ‘कैसी है ये उदासी’ के लिए देश भर में मशहूर हैं। कैलाश खेर ने इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा के पॉपुलर शो ‘आप की अदालत’ में अपनी जिंदगी के हर जिंदगी के हर छोटे-बड़े पहलू के बारे में खुलकर बात की। ‘आप की अदालत’ के कटघरे में संगीतकार कैलाश ने अपनी जिंदगी से जुड़े कुछ मजेदार और मोटिवेशनल किस्से भी शेयर किए। साथ ही उन्होंने यह भी खुलासा किया कि वह बचपन में इतने जिद्दी थे कि पिता के पिटाई करने के बाद भी वह अपने मन की करते थे।
पिता से बगावत कर कैलाश बने मशहूर सिंगर-कंपोजर कर्मकांड पंडित
रजत शर्मा – कैलाश जी सुना है कि आप बचपन से बड़े जिद्दी थे। पिता जी कर्मकांड पंडित और पुरोहित थे। समाज में बड़ी प्रतिष्ठा थी। वो चाहते थे आप पुरोहित बन जाएं। आपने कहा मर जाऊंगा, मिट जाउंगा। यह नहीं करूंगा।
कैलाश खेर – जब भी मैं ख्वाबों में होता हूं सब को लगता मैं सोता हूं। होता हूं जो सबसे जुदा उसकी पनाहों में होता हूं और दुनिया में जो भी अलग है। दुनिया में जो भी अलग है लगता वो सबको गलत है। रजत जी, इस दुनिया में who ever is different इस पृथ्वी पर वो सबको गलत लगता है। सबसे पहले लोग अपना जजमेंट पास कर देते हैं। अपनी टिप्पणी देते हैं no this is not correct। शिद्दत से आगे जिद मेरी है और वो भी मुद्दत तलक है। जिंदगी तो सभी जीते हैं। मैं एक जिद जीता हूं… मैं एक जुनून जीता हूं और वही पागलपन। शायद मुझे कैलाश खेर बना बैठा। कुल 18 साल का करियर है रजत जी। 18 साल में तो लोग जमीन तलाशते हैं और इतने में ही बिजी रहते हैं। शाम के वक्त थोड़ा दिन में सब काम हो गया। शो खत्म होने के बाद लोग बिजी हो जाते हैं। बाकी चीजों में हमको पता भी नहीं, क्योंकि जब आप अंदर से बेकल हो तो आपको नींद भी नहीं आती ठीक से और परमात्मा खुद हंसते हैं कि एक जन्म में तूने सो लिया, एक जन्म में बाकी सब कर लिया तो इस जन्म में तो एक जुनून लेकर जन्मा है। तो हर पल एक जुनून ही है, जिसकी वजह से कुल 18 साल में 2000 गाने, 21 भाषाएं और ये मतलब हमको खुद भी समझ नहीं आता रजत जी इतनी स्पीड पर कैसे हो रहा है।
रजत शर्मा – हमको भी समझ नहीं आता कि बेकल है, पागल है कि घर छोड़ कर भाग गए म्यूजिक डायरेक्टर बनने के लिए।
कैलाश खेर – वही तो बचपन से ही थोड़ी बेबाकी थी, थोड़े तेवर अलग थे और कुछ बातें ऐसी थी जो संसार जैसा है वैसा न होना इस दुनिया में अखरता है लोगों को और मैं थोडा सा मुंहफट था। छोटे में भी इस पृथ्वी पर लोग कैसे झूठ बोलना सिखाते हैं परिवारों में? रजत जी, मैं इस बात को देख रहा था और वो जो अवलोकित करता हुआ छोटा बालक है कि बोलता कुछ और है संसार और होता कुछ और है। जैसे मान लीजिए आप अपना दिन प्रारंभ कर रहे हैं। प्रार्थनाएं चल रही है, पूजा-पाठ चल रही है और उसके बीच में फोन आ गया तो बालक को कह रहे हैं बेटा बोल दो, पापा ट्रैवल कर रहे हैं। आउट ऑफ सिटी हैं। आउट ऑफ कंट्री। तो जो बालक है वो मान लीजिए। यह बात दिमाग में रख रहा है और घरवाले सिखाते तो हमको है झूठ नहीं बोलना। यहां प्रैक्टिस करा रहे हैं। अच्छा झूठ बोलने का उन्होंने कारण नहीं बताया। हो सकता है उसका कोई बड़ा प्यारा सा कारण हो। कर्जा मांगने वाले का हो तो कई बार ऐसा भी होता है। लेकिन, उस बालक के मन में अब द्वंद्व छोड़ दिया। आपने तो ऐसे वाले द्वंद्व को मैं रेखांकित कर देता था। मेरा यही कुसूर था। एक बार ऐसी बातें मुंहफट कर दी मैंने, तो जिद तो थी ही। फिर थोड़ी धुनाई हुई मेरी और पिटाई हुई तो मैंने घर छोड़ दिया। फिर घर छोड़ कर बस यही जिद लेकर चला था कि जैसी दुनिया है, मुझे ऐसा नहीं बनना। इसलिए मैं कुछ अलग बनाना चाहता था। बन गया म्यूजिक डायरेक्टर पिता के खिलाफ जाकर।
रजत शर्मा- लेकिन जब गए तो बने क्या? दर्जी बने, ट्रक ड्राइवर बने, प्रिंटिंग प्रेस में काम किया। चार्टर्ड अकाउंटेंट की असिस्टेंट बने।
कैलाश खेर – साहब जी तो
रजत शर्मा – न माया मिली न राम।
कैलाश खेर – हमको ऐसा लगता है जैसे तुमने उस्तादों से सीखा है। हमने हालातों से सीखा है। तो अब मैं मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं इन्हीं में से निकला हूं और अचानक मेरे दाता ने बस ऐसे थोड़ा धो दिया मुझे ठीक से, जैसे डार्क रूम में नेगेटिव धोते थे और क्लियर पिक्चर आ जाती थी।
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