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कोई मामुली शख्स नहीं हैं ‘पंचायत 4’ के नाना जी, जैकी चैन संग किए काम, इरफान खान छूते थे पैर, नीना गुप्ता भी झुकाती हैं सिर

कोई मामुली शख्स नहीं हैं ‘पंचायत 4’ के नाना जी, जैकी चैन संग किए काम, इरफान खान छूते थे पैर, नीना गुप्ता भी झुकाती हैं सिर

Image Source : STILLS FROM PANCHAYAT SEASON 4
सचिव के साथ नाना जी।

‘पंचायत’ एक ऐसी वेब सीरीज जो गांव की सादगी, राजनीति और मानवीय भावनाओं को इतने सहज और असली अंदाज में दिखाती है कि हर दर्शक इससे खुद को जुड़ा महसूस करता है। पहले तीन सीजन ने जैसे दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई, उसी उम्मीद के साथ चौथा सीजन आया। हालांकि इस बार की कहानी और टेम्पो ने कुछ दर्शकों को थोड़ा ठंडा जरूर महसूस कराया, लेकिन एक ऐसा किरदार था जिसने शो में जान फूंक दी। ये किरदार है नाना जी का, यानी मंजू देवी के पिता और बृजभूषण दुबे के ससुर का। नाना जी की एंट्री भले ही अचानक और सीमित समय के लिए हुई हो, लेकिन हर सीन में उनकी मौजूदगी ने दर्शकों को बांधे रखा। वो सिर्फ एक किरदार नहीं, बल्कि एक विचार, एक दृष्टिकोण और एक संदेश लेकर कहानी में आए थे। 

कौन हैं राम गोपाल बजाज?

नाना जी के डायलॉग्स जैसे ‘जो जैसा काम करेगा, वैसा फल पाएगा’ और ‘आशीर्वाद कोई जादू टोना थोड़ी ना है’ लोगों की जुबान पर चढ़ गए। ये डायलॉग्स यूं ही नहीं आए, इन्हें जीवन के गहरे अनुभवों से गढ़ा गया था और यही अनुभव लेकर आए थे वह कलाकार, जिन्होंने इस भूमिका को निभाया- राम गोपाल बजाज। राम गोपाल बजाज सिर्फ एक अभिनेता नहीं, एक संस्था हैं। थिएटर की दुनिया में उनकी पहचान किसी परिचय की मोहताज नहीं है। वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) के पूर्व निदेशक रहे हैं और खुद NSD के छात्रों के आदर्श माने जाते हैं। मशहूर अभिनेता इरफान खान के वे गुरू रहे हैं और आज ‘पंचायत’ के कई कलाकार जैसे नीना गुप्ता, रघुबीर यादव, पंकज झा, दुर्गेश कुमार और सुनीता राजवार उनके शिष्य रह चुके हैं। राम गोपाल बजाज का कद इतना बड़ा है कि NSD जैसे संस्थान के कलाकार भी उनके पैर छूते हैं।

अभिनय का गहरा असर

‘पंचायत 4’ में नाना जी का किरदार सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं था, बल्कि उसमें समाज के लिए एक गहरी चेतावनी छुपी थी। जब उन्होंने सचिव जी को न्यूट्रल रहने की सलाह दी या चुनाव परिणामों की भविष्यवाणी की तो वह महज एक सीन नहीं था, वो भारतीय राजनीति की एक तस्वीर थी, जो बताती है कि सत्ता का सही उपयोग क्या होना चाहिए और जिम्मेदारी क्या होती है। राम गोपाल बजाज ने उस किरदार को इतनी सहजता और गहराई से जिया कि उनके सामने बाकी किरदार हल्के लगने लगे।

एक समर्पित कलाकार की यात्रा

राम गोपाल बजाज का जन्म 5 मार्च 1940 को बिहार के दरभंगा में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1984 में एक असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर की थी, लेकिन उनका असली प्यार था थिएटर। उन्हें पद्म श्री, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और साहित्य कला परिषद जैसे प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं। उन्होंने फिल्मों में भी काम किया, जिनमें ‘जॉली एलएलबी 2’ में रिजवी साहब और ‘शेफ’ में सैफ अली खान के पिता की भूमिका निभाई। इसके अलावा ‘मासूम’, ‘चांदनी’, ‘द मिथ’ और ‘हिप हिप हुर्रे’ जैसी फिल्मों में भी उनका योगदान रहा। खास बात ये है कि वह जैकी चैन की फिल्म ‘द मिथ’ में भी नजर आ चुके हैं।

क्यों बना नाना जी का किरदार शो की जान?

‘पंचायत 4’ के उस एपिसोड को याद करिए जब नाना जी ने सिर झुकाए बैठे प्रधान और सचिव जी को खरी-खरी सुनाई। उन्होंने न सिर्फ राजनीतिक अकर्मण्यता पर चोट की, बल्कि दर्शकों को यह भी बताया कि जनता सब देखती है और हर नेता को एक दिन जवाब देना ही पड़ता है। यही वजह रही कि सोशल मीडिया पर भी नाना जी छा गए – मीम्स, वीडियो क्लिप्स और उनके डायलॉग वायरल हो गए।

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This report has been published as part of an auto-generated syndicated wire feed. Except for the headline, the content has not been modified or edited by Doonited

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