
जैस्मिन जाफर।
केरला में बिग बॉस फेम जैसमीन जाफर ने प्रसिद्ध गुरुवायुर मंदिर के तालाब में रील बनाकर एक नए विवाद को जन्म दे दिया। वीडीयो सामने आने के बाद गुरुवायुर देवस्वम बोर्ड ने घोषणा की है कि मंदिर के तालाब में पुण्यहम (शुद्धिकरण अनुष्ठान) आयोजित किया जाएगा। वीडियो, जिसमें जाफर को एक गैर-हिंदू प्रतिभागी के साथ इंस्टाग्राम रील फिल्माने के लिए पवित्र तालाब में प्रवेश करते हुए दिखाया गया था, वायरल हो गया और भक्तों और सांस्कृतिक संगठनों ने इसकी तीखी आलोचना की।
किया जाएगा विशेष अनुष्ठान
देवास्वम बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि इस अनुष्ठान में छह दिनों तक विशेष अनुष्ठान होंगे, जिसमें मंगलवार सुबह से 18 पूजाएं और 18 शीवेलियां दोहराई जाएंगी। इस दौरान दर्शन पर भी प्रतिबंध रहेगा। मंदिर का तालाब जहां भगवान कृष्ण को पारंपरिक रूप से अनुष्ठान के रूप में स्नान कराया जाता है, अत्यधिक पवित्र माना जाता है। नियमों के अनुसार फोटोग्राफी, फिल्मांकन या गैर-हिंदुओं का प्रवेश सख्त वर्जित है। देवास्वम प्रशासक ने एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि जाफर के कृत्य ने मंदिर की परंपराओं का उल्लंघन किया और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई।
जैस्मीन जाफर ने मांगी माफी
भारी आलोचना का सामना करते हुए जैस्मीन जाफर ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी और कहा कि उन्हें प्रतिबंधों की जानकारी नहीं थी। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘मेरा कभी किसी को ठेस पहुंचाने या परेशानी पैदा करने का इरादा नहीं था। अज्ञानतावश, मुझसे गलती हुई और मैं उन लोगों से ईमानदारी से माफी मांगती हूं जिन्हें ठेस पहुंची है।’ गुरुवायुर मंदिर प्रबंधन ने अपना रुख दोहराया है कि मंदिर परिसर की पवित्रता हर समय बनी रहनी चाहिए और उल्लंघनों से सख्ती से निपटा जाएगा। इस घटना ने पूजा स्थलों में सोशल मीडिया के जिम्मेदारी भरे इस्तेमाल पर बहस को फिर से छेड़ दिया है।
क्या गुरुवायुर श्री कृष्ण मंदिर की खासियत?
गुरुवायुर श्री कृष्ण मंदिर, जिसे अक्सर “दक्षिण का द्वारका” कहा जाता है, केरला के सबसे प्रतिष्ठित तीर्थस्थलों में से एक है। भगवान कृष्ण के दिव्य बाल रूप को समर्पित यह मंदिर हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। इसके अनुष्ठान, कठोर परंपराएं और अन्नप्राशम और तुलाभरम जैसे प्रसिद्ध प्रसाद इसे अद्वितीय बनाते हैं। मंदिर का तालाब और दैनिक शीवेली जुलूस इसकी आध्यात्मिक आभा को और बढ़ाते हैं, जबकि इसका सांस्कृतिक महत्व केरला के इतिहास और कला में गहराई तक समाया हुआ है। मंदिर की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ पूजाओं के लिए प्रतीक्षा अवधि महीनों से लेकर वर्षों तक हो सकती है, जो मंदिर की अपार लोकप्रियता और लाखों तीर्थयात्रियों की भक्ति को दर्शाता है।
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