
खुदा गवाह
बीते दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा रहा और दुश्मन को भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया। हालांकि बीते रोज दोनों ही देशों ने सीजफायर का ऐलान किया था। लेकिन पाकिस्तान को तो पाकिस्तान ही है अपने वादों को तोड़ने और पीठ में छुरा भौंकने का इतिहास रहा है। इस सीजफायर के अनाउंसमेंट के कुछ समय बाद ही पाकिस्तान ने इस सीजफायर का उल्लंघन कर दिया। लेकिन कम ही लोग जानते हैं बॉलीवुड में एक ऐसा सुपरस्टार भी है जिसके लिए अफगानिस्तान में वॉर रोक दी गई थी। इतना ही नहीं अफगानिस्तान की सेना ने खुद आगे आकर सुरक्षा दी थी। ये सुपरस्टार कोई और नहीं बल्कि अमिताभ बच्चन हैं। ये वाकया है अमिताभ बच्चन की फिल्म खुदा गवाह का जो 8 मई 1992 को रिलीज हुई थी।
अमिताभ बच्चन ने खुद सुनाया था किस्सा
90 के दशक में अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति नजीबुल्लाह अहमदजई कथित तौर पर मेगास्टार के बहुत बड़े प्रशंसक थे। जब बिग बी देश में शूटिंग कर रहे थे तो उनकी सुरक्षा के लिए देश की आधी वायुसेना मुहैया कराई गई थी। 2013 में अमिताभ ने एक फेसबुक पोस्ट में पूरे अनुभव को याद किया। उन्होंने लिखा, ‘सोवियत ने अभी-अभी देश छोड़ा था और सत्ता नजीबुल्लाह अहमदजई को सौंपी गई थी, जो लोकप्रिय हिंदी सिनेमा के बहुत बड़े प्रशंसक थे। वह मुझसे मिलना चाहते थे और हमें सही शाही सत्कार दिया गया। हमें मजारे-ए-शरीफ में वीवीआईपी राज्य अतिथि के रूप में सम्मानित किया गया और सशस्त्र एस्कॉर्ट्स के साथ हवाई जहाज में अविश्वसनीय रूप से खूबसूरत देश की लंबाई और चौड़ाई में ले जाया गया। हमें स्थानीय लोगों की पारंपरिक गर्मजोशी मिली, जिन्हें आतिथ्य का शौक है। हमें होटल में रहने की अनुमति नहीं थी। एक परिवार ने हमारे लिए अपना घर खाली कर दिया और एक छोटे से घर में रहने चला गया।’
सेना ने खुद दी थी सुरक्षा
इसके अलावा अमिताभ बच्चन ने कहा, ‘निश्चित रूप से सुरक्षा संबंधी समस्याएं थीं, सड़कों पर टैंक और सशस्त्र सैनिक थे। फिर भी यह मेरे जीवन की सबसे यादगार यात्रा रही है। यूनिट को सरदारों के एक समूह द्वारा आमंत्रित किया गया था, डैनी डेंगजोंगपा, बिलू, मुकुल और मैं एक हेलिकॉप्टर गनशिप में सवार हुए, जिसके दोनों ओर पांच अन्य हेलिकॉप्टर थे। यह एक अविस्मरणीय यात्रा थी। हवाई दृश्य ने हमें बैंगनी पहाड़ों का दृश्य दिखाया जो वहां उगने वाले खसखस के कारण गुलाबी और लाल हो रहे थे। ऐसा लग रहा था कि जिस घाटी में हेलिकॉप्टर उतरा, वहां समय बिल्कुल रुक गया था।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘हम दूर से एक मध्ययुगीन महल जैसी संरचना देख सकते थे। हमें सरदारों ने शारीरिक रूप से उठाया और वहां ले गए क्योंकि पारंपरिक रूप से, मेहमानों के पैर जमीन को नहीं छूना चाहिए। महल से हम मैदान में गए जहां हमारे लिए बुजकशी टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था। रंग-बिरंगे टेंट लगाए गए थे, मुझे लगा कि मैं इवानहो लैंड में हूं। सरदारों ने जोर देकर कहा कि हम चारों रात वहीं बिताएं, महल खाली कर दिया गया और हम चारों खाते-पीते रहे और ऐसा लग रहा था जैसे हम किसी अविश्वसनीय परी कथा में भटक गए हों।’
काबुल के लोगों में दिए थे उपहार
अपनी लंबी पोस्ट को समाप्त करते हुए उन्होंने साझा किया, ‘हमें उपहारों से भर दिया गया था। काबुल में भारत वापस जाने से एक रात पहले नजब ने हमें राष्ट्रपति के निवास पर बुलाया और हम सभी को ‘अफगानिस्तान के आदेश’ से सजाया। उस शाम उनके चाचा ने हमारे लिए एक भारतीय राग गाया। मुझे नहीं पता कि हमारे मेजबान कहां हैं, मैं अक्सर सोचता हूं कि वे आज कहां हैं।’ बता दें कि पाकिस्तान के खिलाफ छिड़ी लड़ाई में अफगानिस्तान ने भारत का समर्थन किया था। साथ ही अफगानिस्तान के लोग भारतीयों को काफी पसंद करते हैं।
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