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दर-दर भटका हीरो, फिर घर-गाड़ी बेचकर बनाई नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म, रिलीज हुई तो…

दर-दर भटका हीरो, फिर घर-गाड़ी बेचकर बनाई नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म, रिलीज हुई तो…

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तुम्बाड।

मनोरंजन जगत में ऐसे कई कलाकार हैं, जिन्होंने अलग-अलग प्रोफेशन से होते हुए भी एक्टिंग का रास्ता चुना है। ऐसे ही एक एक्टर ने फिल्म मेकिंग के लिए अपना रियल स्टेट का बिजनेस कुर्बान कर दिया और फिल्म बनाने के लिए मुंबई पहुंच गया। फिर उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउस रीसायकलवाला फिल्म्स की स्थापनाकी और अपने प्रोडक्शन के तले पहली फिल्म ‘शिप ऑफ थीसियस’ (2012) बनाई। इस फिल्म को क्रिटिक्स से खूब सराहना मिली और इसने फीचर फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड भी जीता। लेकिन, फिर इन्होंने जिस फिल्म की ओर कदम बढ़ाए, उसे बनाने में उन्हें 7 साल लग गए। हम बात कर रहे हैं एक्टर, प्रोड्यूसर सोहम शाह की। सोहम शाह ने ‘तुम्बाड’ से खूब सुर्खियां बटोरी थीं। हालांकि, ये बात और है कि इस फिल्म को बनाने में उन्हें खासी मशक्कत करनी पड़ी और रिलीज होने पर ये फिल्म फ्लॉप हो गई।

2018 में रिलीज हुई थी तुम्बाड

लोककथाओं पर आधारित सोहम शाह की फिल्म ‘तुम्बाड’ 2018 में रिलीज हुई थी। जिसे सिनेमाघरों में ज्यादा भाव नहीं मिला। लेकिन, जब ये फिल्म नेटफ्लिक्स पर आई तो देखकर दर्शक भौंचक्के रह गए। फिल्म को हॉरर नंबर 1 का टाइटल मिल गया। फिल्म को मिल रही प्रतिक्रिया को देखते हुए सोहम शाह ने फिल्म को फिर से सिनेमाघरों में रिलीज करने का फैसला किया और इसने इतिहास ही रच दिया। री-रिलीज होने पर तुम्बाड ने 40 करोड़ से भी ज्यादा का कलेक्शन किया। इसी के साथ सोहम शाह ने साबित कर दिया कि आज भी कंटेंट ही किंग है।

आईएमडीबी पर मिली है 8.2 रेटिंग

फिल्म को आईएमडीबी पर 8.2 रेटिंग मिली है। तुम्बाड की री-रिलीज के बाद ही सोहम शाह ने तुम्बाड के सीक्वल का भी ऐलान कर दिया था। हालांकि, ये बात और है कि ‘तुम्बाड’ बनाने में सोहम शाह को अच्छी-खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। पहले तो इस फिल्म की स्क्रिप्ट को खरीददार ही नहीं मिल रहे थे। आज भारत की टॉप हॉरर फिल्मों में शुमार तुम्बाड की स्क्रिप्ट जिसने भी देखी नकार दी। ऐसे में सोहम शाह ने इसे बनाने का जिम्मा अपने कंधों पर ही उठा लिया।

फिल्म बनाने के लिए सोहम शाह को बेचना पड़ गया घर

सोहम शाह ने आज तक के साथ बातचीत में खुलासा किया था कि कैसे उन्हें इस फिल्म को बनाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगाना पड़ गया। इसी के साथ उन्होंने ये भी खुलासा किया था कि ये कोई हॉरर फिल्म नहीं है। सोहम शाह ने कहा था- ‘तुम्बाड कोई अलग विषय नहीं है। इसे दर्शकों से खूब प्यार मिला, लेकिन सच कहूं तो मैं इसे पूरी तरह हॉरर नहीं मानता। इस फिल्म में हॉरर सिर्फ एक एलिमेंट है। अगर आप फिल्म के कोर को देखेंगे तो ये आपको लोक कथाओं की तरह लगेगी जो दादी सुनाती थीं।’

7 साल में बन पाई फिल्म

सोहम शाह ने आगे कहा था- ‘दर्शकों से इसे जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला। लेकिन, इसे बनाना मेरे लिए बहुत कठिन था। इसे बनाते वक्त कई बार लगा कि इसे बंद कर दूं। फिर अंदर से लगता, मैं नहीं बनाऊंगा तो कौन बनाएगा। इसी के चलते फिल्म को बनाने में 7 साल का समय लग गया। इसके चलते मुझे कई प्रोजेक्ट भी छोड़ने पड़े। ये फिल्म बनाते-बनाते मैं आर्थिक तौर पर खत्म हो गया था। 7 सालों में मुझे अपना घर-प्रॉपर्टी सब बेचना पड़ गया। धीरे-धीरे ऐसे हालात हो गए कि कार तक बेचनी पड़ गई।’

सालों पहले तैयार किया गया था पहला ड्राफ्ट

तुम्बाड का निर्माण सोहम शाह, आनंद एल. राय और मुकेश शाह ने किया है। ये फिल्म महाराष्ट्र के तुम्बाड नाम के एक गांव के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां सालों पुराना खजाना छुपा होता है। ये फिल्म 2018 में रिलीज हुई, लेकिन इस फिल्म का पहला ड्राफ्ट सालों पहले तैयार किया जा चुका था। ‘तुम्बाड’ का पहला ड्राफ्ट लेखक-निर्देशक राही अनिल बर्वे ने 1997 में लिखा था। फिल्म का टाइटल श्रीपाद नारायण पेंडसे के मराठी उपन्यास तुम्बाडचे खोट से लिया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राही ने 2009-10 में 700 पन्नों का स्टोरीबोर्ड लिखा था।

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