
राजेश खन्ना
राजेश खन्ना को बॉलीवुड का पहला सुपरस्टार माना जाता है। शोहरत का जो दौर राजेश खन्ना ने देखा फिर कभी ऐसा समय दोबारा बॉलीवुड में नहीं आया। बैक टू बैक 15 सुपरहिट फिल्में देने वाले इकलौते सुपरस्टार राजेश खन्ना का बंगला उनके करियर में गुडलक साबित हुआ था। इस बंगले को खरीदते ही वे सुपरस्टार बन गए थे। लेकिन इसी बंगले को बेचने के बाद राजेश खन्ना की फलक चूमती शोहरत हवा हो गई थी।
1966 में की थी करियर की शुरुआत
राजेश खन्ना ने 1966 में आखिरी खत से अपनी शुरुआत की, जो 1967 में भारत की पहली आधिकारिक अकादमी एंट्री थी और बाद में 1969 और 1971 के बीच आराधना से शुरू होकर हाथी मेरे साथी तक लगातार 15 हिट फिल्में दीं। लंबे समय तक राजेश खन्ना के स्टारडम का खत्म होना असंभव लग रहा था। लेकिन नए सुपरस्टार, खासकर अमिताभ बच्चन के उभरने और राजेश खन्ना की इंडस्ट्री में बदलते रुझानों के साथ तालमेल बिठाने में असमर्थता के कारण, उनका स्टारडम जल्द ही फीका पड़ गया।
बंगला बना स्टारडम का गवाह
बांद्रा बैंडस्टैंड मुंबई का वो इलाका है जहां रोजाना हजारों लोग अपने पसंदीदा फिल्मी सितारों की झलकियां पाने के लिए टहलते दिखते रहते हैं। यहीं पर राजेश खन्ना का बंगला हुआ करता था जिसका नाम था आर्शीवाद। लेकिन इस बंगले की आर्शीवाद बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। राजेश खन्ना से पहले ये बंगला बॉलीवुड के स्टार रहे एक्टर राजेंद्र कुमार के नाम पर था। राजेंद्र कुमार ने साल 1957 में ‘मदर इंडिया’ और 1959 में ‘धूल का फूल’ जैसी फिल्में की और काफी नाम कमाया। इस समय राजेंद्र कुमार सांता क्रूज नाम की जगह पर किराए से रहते थे। लेकिन करियर की गाड़ी चल निकलने के बाद अच्छी जगह शिफ्ट होने का मन बना रहे थे। इसी दौरान एक ब्रोकर ने उन्हें कार्टर रोड का एक बंगला दिखाया। ये बंगला समुंद्र की ठंडी हवाओं से भरा रहता था। राजेंद्र कुमार को ये बंगला पसंद आया और उन्होंने 65 हजार रुपयों में इसे खरीद लिया। तब इस बंगले को भूत बंगला के नाम से भी जाना जाता था। लेकिन राजेंद्र कुमार ने इस बंगले का नाम अपनी बेटी के नाम पर ‘डिंपल’ रखा। इस बंगले को खरीदते ही राजेंद्र कुमार की किस्मत फिर गई और रातों-रात स्टार बन गए। राजेंद्र कुमार जब शोहरत के चरम पर पहुंचे तो उन्होंने एक और घर लिया और वहां शिफ्ट हो गए। लेकिन राजेश खन्ना का स्टारडम यहीं से गिरावट की रफ्तार पकड़ने लगा था।
आखिरी समय में गिर गया करियर ग्राफ
राजेश खन्ना के जीवन के अंतिम समय में उनकी लोकप्रियता में गिरावट आई थी, वे शराब के नशे में घर पर अकेले समय बिताना पसंद करते थे। उनके करीबी दोस्त, पत्रकार अली पीटर जॉन अक्सर राजेश खन्ना के अपनी घटती प्रसिद्धि से संघर्ष के बारे में लिखते थे। एक विशेष घटना में, अली पीटर जॉन ने लिखा कि कैसे, एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद, राजेश खन्ना को हवाई अड्डे पर किसी ने भी सीट नहीं दी और उन्हें अपने सामान पर बैठना पड़ा। अली पीटर जॉन ने याद करते हुए कहा, ‘समारोह समाप्त हो गया था और हम वापस चले गए और मैं एक नए राजेश खन्ना के पुनरुत्थान को देख सकता था जो तब तक चला जब तक हम मुंबई वापस नहीं आ गए और वास्तविकता यह थी कि वह कहीं नहीं था और किसी ने भी उसके चेहरे पर हाथ नहीं मारा, जब हवाई अड्डे पर कोई भी उसे सीट देने के लिए तैयार नहीं था और उसे अंततः अपने बैग पर बैठना पड़ा। कौन सोच सकता था कि एक समय आएगा जब सबसे महान सुपरस्टार इस तरह की स्थिति में आ जाएगा?’ 18 जुलाई 2012 को 69 वर्ष की आयु में राजेश खन्ना का निधन हो गया था। लेकिन उनकी फिल्में आज भी उनकी मौजूदगी का अहसास कराती रहती हैं।
Doonited Affiliated: Syndicate News Hunt
This report has been published as part of an auto-generated syndicated wire feed. Except for the headline, the content has not been modified or edited by Doonited