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धर्मेंद्र को 37 साल से सता रहा ये गम, जब भी याद करते हैं नम हो जाती हैं आंखें

धर्मेंद्र को 37 साल से सता रहा ये गम, जब भी याद करते हैं नम हो जाती हैं आंखें

Image Source : INSTAGRAM@DHARMENDRA
धर्मेंद्र

अपने समय के सुपरस्टार रहे धर्मेंद्र बीते 2 दिनों से सुर्खियों में बने हुए हैं। करीब 2 दिन पहले उनकी तबीयत बिगड़ी जिसके बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया। यहां कुछ समय तक इलाज के बाद अब उनके स्वास्थ्य स्थिर है और उन्हें घर भेज दिया है। भले ही धर्मेंद्र अब अपनी गुजरती उम्र से जूझ रहे हैं लेकिन एक गम उन्हें पिछले 37 साल से खाए जा रहा है। ये गम किसी और का नहीं बल्कि चचेरे भाई की बेरहमी की हत्या का है। धर्मेंद्र के चचेरे भाई सुभाष धाड़वाल (वीरेंद्र सिंह ) की पंजाब में 37 साल पहले गोलियों से भूनकर हत्या हो गई थी। इसके बाद से कभी धर्मेंद्र इस दुख को नहीं भुला पाए। आइये जानते हैं अजीत देओल की मौत की पूरी कहानी। 

बेरहमी से मौत के घाट उतारा

धर्मेंद्र के भाई वीरेंद्र सिंह भी उनकी तरह ही फिल्मी दुनिया के बड़े कलाकार थे। हालांकि वीरेंद्र बॉलीवुड नहीं बल्कि पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में अपना नाम कमा चुके थे। यहां रीजनल सिनेमा की फिल्में करते और खूब तारीफें बटोरते। साल 1988 की तारीख 6 दिसंबर को भी वीरेंद्र पंजाब में फिल्म ‘जट ते जमीन’ की शूटिंग कर रहे थे। जब वीरेंद्र अपने सेट पर इंतजार कर रहे थे तभी कुछ लोग आए और हथियारों से फायर करना शुरू कर दिया। आरोपियों ने वीरेंद्र पर कई फायर किए और उन्हें बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। 80 का दशक पंजाब के लिए काफी दर्दनाक रहा है। ये दशक व्यापक उग्रवादी क्रांति के दौर से जूझ रहा था। इस दौरान कवियों, लेखकों, अभिनेताओं और गायकों सहित कई कलाकारों को निशाना बनाया गया और चेतावनी दी गई कि यदि उनका काम विचारधारा से मेल नहीं खाता है और जो इसके खिलाफ जाता है उसे असमय स्वर्ग जाना पड़ता है। वीरेंदर का मामला भी कुछ ऐसा ही था। ये वही दौर था जब पंजाबी सिंगर अमर सिंह चमकीला की भी हत्या हुई थी। 

भाई को भी कहा जाता था पंजाब का धर्मेंद्र

धर्मेंद्र के भाई वीरेंद्र सिंह को भी पंजाब का धर्मेंद्र कहा जाता था। दिसंबर 1988 में लुधियाना के पास तलवंडी कलां सवाड्डी गांव में अपनी फिल्म ‘जट ते जमीन’ की शूटिंग के दौरान वीरेंदर को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया था। उस समय वीरेंदर की उम्र 40 साल थी। कई स्रोतों का यह भी दावा है कि वीरेंदर की लोकप्रियता ही उनकी दुश्मन बन गई और उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी, लेकिन कुछ का कहना है कि वे आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए। हालांकि ये मामला कभी पूरी तरह सुलझ नहीं पाया। लेकिन भाई की इस हत्या ने धर्मेंद्र को काफी दुखी कर दिया था। जिसका दुख उन्हें आज तक है। 

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