
मनोज तिवारी।
‘बिहार’ में एनडीए की सरकार बन गई है और नीतीश कुमार ने एक बार फिर सीएम पद की शपथ ले ली है। एक ओर नीतीश के मंत्रीमंडल की चर्चा हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ एक गाना छाया हुआ है। बिहार में सियासी पारा चढ़ाने वाले इस गाने को किसी और ने नहीं बल्कि भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने गाया है। ये गाना चुनाव खत्म होने के बाद भी लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है और इसे बार-बार सुना जा रहा है। अगर आप अब भी गेस नहीं कर पाए हैं तो चलिए आपको इस गाने का टाइटल बता ही देते हैं। इस गाने के बोल हैं ‘हां हम बिहारी हैं जी’।
छा गया मनोज तिवारी का गाना
भोजुरी सिनेमा के सुपरस्टार कहे जाने वाले मनोज तिवारी ने इस गाने को न सिर्फ आवाज दील है, बल्कि वो इसमें एक्ट करते भी नजर आ रहे हैं। मनोज तिवारी का ये गाना एक महीने पहले 20 अक्टूब को रिलीज किया गया। इस गाने को एक महीने के भीतर 2 मिलियन से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं। इस गाने को बिहारी प्राइड सॉन्ग का टाइटल भी दिया गया है। इसमें बिहार के लोगों की खासियत बताई गई है। उनके मेहनती स्वभाव और उनकी ईमानदारी को प्रोजेक्ट किया गया है। जहां एक ओर आरजेडी समर्थक कट्टा, बारूद पर गाने बना रहे थे, वहीं मनोज ने अपने सरल गाने से लोगों का दिल जीत लिया।
गाने में इन लोगों का मिल सहियोग
इस गाने को भोजपुरी आईटी सेल के यूट्यूब चैनल पर रिलीज किया गया। ये गाना बीजेपी के प्रचार का हिस्सा भी बना और जीत के बाद भी अलग अलग मौकों पर मनोज तिवारी इस गाने को गुनगुनाते नजर आए। इस गाने के बोल अतुल कुमार राय ने लिखे हैं और शैलेंद्र द्विवेदी ने प्रोड्यूस किया है। गाने के म्यूजिक का निर्माण मुधकर आनंद ने किया है।
गाने के बोल
माटी को सोना करने वाली कलाकारी हैं जी।
हाँ हम बिहारी हैं जी, थोड़े संस्कारी हैं जी।
बुद्ध का हम ताना-बाना, जैसे प्रिय लागे मखाना
हम हैं महावीर की बानी, आर्यभट्ट जैसे ज्ञानी
ये धरती अशोक वाली, जनती है वीर बलशाली
उस बंजर को सींचा करते हैं,जिसका न कोई माली
अकेले चाणक्य जैसे सौ-सौ पे भारी हैं जी
हां, हम बिहारी हैं जी…
थोड़े संस्कारी हैं जी…
दिल्ली-बॉम्बे, दुबई,लंडन हमसे गुलजार रहते
सूरीनाम मॉरिसश के खेत भी कहानी कहते।
दुनिया में जहां भी जाते हैं, हम मेहनत से छा जातें हैं
डूबते सूरज को अरघ चढा, छठ की महिमा बतलाते हैं
कुँवर सिंह जेपी जैसे , बागी क्रांतिकारी हैं जी
हां,हम बिहारी हैं, थोड़े संस्कारी हैं जी..
सबसे ज्यादा आईएस-पीसीएस , विद्यापति की रचना हैं हम
रेणु की कहानी दे दी, दिनकर की कविता हैं हम
कभी सांचे में ढल जाते हैं, कभी ख़ुद सांचा बन जाते हैं।
कभी चट्टानों से टकराके ,झरना हम नया बहाते हैं।
गुरुगोविंद सिंह का साहस , नालंदा की क्यारी हैं जी
हाँ हम बिहारी हैं जी, थोड़े संस्कारी हैं जी।
सोन के कछार हैं हम कोसी गंगाधारी हैं जी
हाँ हम बिहारी हैं जी
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