
डैनी, एल कबीर और रणजीत।
सिनेमा प्रेमियों के लिए डैनी डेन्जोंगपा सिर्फ एक नाम नहीं, एक प्रभावशाली किरदार हैं। खासकर जब बात खलनायकों की हो तो उनका नाम टॉप पर आता है। उनकी गहरी, गंभीर आवाज और ‘अग्निपथ’ में निभाया गया कांचा चीना का भयानक किरदार आज भी दर्शकों के जहन में ताजा है, लेकिन सिल्वर स्क्रीन पर डर का पर्याय माने जाने वाले डैनी, पर्दे के पीछे एक बेहद सफल उद्यमी भी हैं। पर्सनल लाइफ में बेहद सुलझे हुए एक्टर बिजनेस के क्षेत्र में भी अलग मुराम हासिल कर चुके हैं। बहुत कम लोगों को पता है कि वे भारत की तीसरी सबसे बड़ी बीयर कंपनी के वो मालिक हैं और इतना ही नहीं विजय माल्या से भी इस फील्ड में भिड़ चुके हैं।
कैसे एक्टर बने सफल बिजनेसमैन?
25 फरवरी 1948 को सिक्किम के छोटे से गांव युकसम में शेरिंग फिंशो डेन्जोंगपा के रूप में जन्मे डैनी ने अभिनय के क्षेत्र में जबरदस्त मुकाम हासिल किया। 190 से ज्यादा फिल्मों में काम करने के बाद उन्होंने 1987 में अपने जन्मस्थान के नाम पर युकसम ब्रुअरीज की स्थापना की। यह शुरुआत एक छोटे स्थानीय प्रोजेक्ट के रूप में हुई थी, लेकिन आज किंगफिशर और किमाया के बाद युकसम ब्रुअरीज भारत की तीसरी सबसे बड़ी बीयर निर्माता कंपनी बन चुकी है। डैनी का सपना केवल एक व्यवसायिक सफलता नहीं था, वह अपने गृह राज्य सिक्किम के लोगों के लिए रोजगार और पहचान चाहते थे। उनकी लोकप्रियता और दूरदर्शिता ने मिलकर एक ऐसा ब्रांड खड़ा किया जो आज हर साल 30 लाख से भी अधिक बीयर की पेटियों की बिक्री करता है।
कितना है डैनी की कंपनी का उत्पादन
सिर्फ सिक्किम तक सीमित न रहते हुए, डैनी ने साल 2005 में ओडिशा में डेनजोंग ब्रुअरीज की शुरुआत की और फिर 2009 में असम की राइनो एजेंसीज को अधिग्रहित कर कंपनी का विस्तार किया। इन तीनों ब्रुअरीज से आज युकसम ब्रुअरीज हर साल लगभग 68 लाख लीटर बीयर का उत्पादन करती है। इस कंपनी की सफलता का एक अहम कारण है इसका किफायती दाम। उदाहरण के लिए, ओडिशा में युकसम बीयर की एक बोतल महज 105 रुपये में उपलब्ध होती है। इसका लो-प्राइस, हाई-वॉल्यूम मॉडल इसे मध्यम वर्ग के बीच बेहद लोकप्रिय बनाता है।
सिक्किम की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान
युकसम ब्रुअरीज सिर्फ एक व्यापार नहीं, सिक्किम की अर्थव्यवस्था में भी एक बड़ा योगदान देती है। कंपनी हर साल लगभग 100 करोड़ रुपये का आर्थिक प्रभाव डालती है और 250 से अधिक लोगों को रोजगार देती है। अनुमान के मुताबिक, कंपनी का सालाना कारोबार 500रुपये से 700 करोड़ रुपये के बीच है। एक प्राइवेट कंपनी होने के कारण युकसम अपने लाभ के आंकड़े सार्वजनिक नहीं करती, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह कंपनी बेहद कुशलता से स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर कम लागत पर अधिक मुनाफा कमाती है। डैनी की व्यक्तिगत नेट वर्थ लगभग 250 करोड़ रुपये आंकी जाती है। एक अभिनेता और सफल व्यवसायी के रूप में यह आंकड़ा उनकी दोहरी सफलता का प्रतीक है।
विजय माल्या के लिए साबित हुआ बड़ा झटका
युकसम ब्रुअरीज के इतिहास में 2009 का साल बेहद अहम रहा, जब डैनी ने असम में राइनो एजेंसीज को खरीदा। इस कदम ने विजय माल्या की यूनाइटेड ब्रुअरीज जैसी दिग्गज कंपनी को पूर्वोत्तर भारत के बाजार में अपने पैर जमाने से रोक दिया। यह सिर्फ एक व्यवसायिक निर्णय नहीं था, बल्कि डैनी की रणनीतिक सोच और बाजार की गहरी समझ का परिणाम था। डैनी डेन्जोंगपा की कहानी एक ऐसे कलाकार की है, जिसने न सिर्फ अभिनय में खुद को स्थापित किया, बल्कि अपनी मातृभूमि से जुड़े रहकर उसे आर्थिक और सामाजिक स्तर पर नई पहचान भी दी। उनके अभिनय की गूंज तो सिनेमाघरों में सुनाई देती है, लेकिन उनकी उद्यमशीलता की गूंज आज पूरे उद्योग जगत में महसूस की जाती है।
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