
रितुपर्णा सेनगुप्ता।
रणवीर सिंह ने ‘पद्मावत’ में अलाउद्दीन खिलजी का किरदार निभाया था और फिल्म की रिलीज के बाद उन्होंने खुलासा किया था उनके दिमाग में अलाउद्दीन खिलजी का ऐसा असर हुआ था कि उन्हें लगने लगा था कि वे पागल हो रहे हैं। हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब किसी एक्टर ने इस तरह का खुलासा किया हो, रणवीर से पहले और भी कई स्टार इसी तरह की स्थिति से गुजर चुके हैं। कई बार कलाकार अपने किरदार में इस कदर घुस जाते हैं कि उनके लिए इससे बाहर आना मुश्किल हो जाता है और कई बार किसी एक सीन का इतना असर होता है कि इनके लिए सोना तक मुश्किल हो जाता है। बंगाली सिनेमा की जानी-मानी एक्ट्रेस रितुपर्णा सेनगुप्ता के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था।
मिथुन चक्रवर्ती के साथ किया हिंदी डेब्यू
रितुपर्णा सेनगुप्ता बंगाली और हिंदी सिनेमा का जाना-माना नाम हैं। एक्ट्रेस की बंगाली सिनेमा में शुरुआत बेहद दमदार रही और फिल्मों में उनका लक भी काफी मजबूत रहा। उन्होंने कई बड़े अवॉर्ड अपने नाम किए। उन्होंने 1992 में ‘Shwet Pathorer Thala’ से एक्टिंग डेब्यू किया और इसमें निगेटिव भूमिका में नजर आईं। फिल्म में रितुपर्णा सेनगुप्ता ने एक विधवा की भूमिका निभाई थी और अपने अभिनय के लिए खूब तारीफें हासिल कीं। ये फिल्म हिट रही और रितुपर्णा के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। बंगाली सिनेमा में खुद को साबित करने के बाद उन्होंने बॉलीवुड की ओर कदम बढ़ाए और मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म से बॉलीवुड डेब्यू किया।
एक सीन ने उड़ा दी थी रातों की नींद
रितुपर्णा ने 1994 में मिथुन चक्रवर्ती स्टारर ‘तीसरा कौन’ से बॉलीवुड डेब्यू किया। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही और रितुपर्णा के सितारे बॉलीवुड में भी चमक उठे। बॉलीवुड में अपने नाम का परचम लहराने के बाद रितुपर्णा ने 1997 में फिर एक बंगाली फिल्म की, जिसका नाम था ‘दहन’। इस फिल्म में रितुपर्णा सेनगुप्ता पर एक रेप सीन फिल्माया गया था, जिसे काफी पॉपुलैरिटी मिली, लेकिन इसी एक सीन ने अभिनेत्री की रातों की नींद उड़ा दी। इस सीन ने उन्हें इस कदर प्रभावित किया कि वह अक्सर रातों को छटपटा कर उठ जातीं।
स्थिति से बाहर आने में लगा लंबा समय
रितुपर्णा सेनगुप्ता ने खुद एक बार इस सीन को लेकर बात की थी और बताया था कि कैसे इस एक सीन ने उनकी मानसिक स्थिति को भी प्रभावित किया था। अक्सर उन्हें रात में ये सीन सपने में दिखाई देते थे, जिसके चलते उनकी नींद टूट जाती और वह घबरा कर उठ जातीं। हालांकि, धीरे-धीरे उनके दिमाग से इसका प्रभाव कम होता गया और वह इससे बाहर आ गईं। बता दें, रितुपर्णा ने सिर्फ हिंदी या बंगाली ही नहीं, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया है। वह 1996 की कन्नड़ फिल्म ‘पुत्र’ में नजर आई थीं और 213 में मलयालम फिल्म ‘काधावीदु’ का भी हिस्सा थीं।
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