
श्रेया घोषाल
बीते दिनों भारतीय जांबाज सेना के जवानों ने पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों को तबाह करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। इस ऑपरेशन के तहत आतंकियों के अड्डों को तबाह करने वाली भारतीय सेना की जमकर तारीफ हुई है और वैश्विक पटल पर बहादुरी के किस्से सुनाए जा रहे हैं। ऐसे में बॉलीवुड सिंगर श्रेया घोषाल ने भी अपने म्यूजिक कॉन्सर्ट में सैनिकों को नमन किया है। श्रेया घोषाल ने अपना कॉन्सर्ट ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पड़ने की वजह से पोस्टपोन्ड कर दिया था। अपने ऑल हार्ट्स टूर के मुंबई चरण के दौरान श्रेया घोषाल ने भारतीय सशस्त्र बलों को एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी, जिसने दर्शकों को बहुत प्रभावित किया। प्रतिष्ठित मां तुझे सलाम का उनका गायन राष्ट्रीय गौरव का एक शक्तिशाली क्षण बन गया, क्योंकि उन्होंने भारतीय सैनिकों के साहस और बलिदान का सम्मान करने के लिए बीच में ही रुककर प्रस्तुति दी।
हम आज बेफिक्र हैं तो सेना के कारण: श्रेया घोषाल
श्रेया घोषाल ने खचाखच भरी भीड़ से कहा, ‘हम हर पल यहां खड़े रहते हैं, हमारे मन में कोई चिंता नहीं होती, क्योंकि सीमा पर कोई हमारी रक्षा कर रहा है। जहां भी आप किसी सेना के जवान, नौसेना या वायु सेना के अधिकारी को देखते हैं, हमें उनके पैर छूने चाहिए। यह गाना उनके पैर छूने का मेरा तरीका है- चरण स्पर्श।’ श्रेया की श्रद्धांजलि भारतीय सेना द्वारा हाल ही में किए गए कई वीरतापूर्ण कार्यों के मद्देनजर आई है, जिसमें साहसिक ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान द्वारा हाल ही में किए गए हमले के प्रयास का भारत द्वारा कड़ा जवाब देना शामिल है। श्रेया ने अपनी अटूट शक्ति और देश को सुरक्षित रखने के लिए सेना को दिल से धन्यवाद दिया।
कॉन्सर्ट में दौड़ी देशभक्ति की लहर
संगीत के माध्यम से एकता की शक्ति को बढ़ावा देते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं चाहती हूँ कि हमारे सभी बैंड भी इसमें एकजुट हों। अगर सभी लोग एक साथ मिलकर इसे गाएं, तो मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही खूबसूरत एहसास होगा। मुझे लगता है कि हमें इस पल को इसी तरह याद रखना चाहिए।’ कॉन्सर्ट जल्द ही देशभक्ति की लहर में बदल गया, क्योंकि दर्शक खड़े होकर मां तुझे सलाम गाने में उनके साथ शामिल हो गए, उनकी आवाजें श्रद्धांजलि में एकजुट हो गईं। जोश और गर्व के साथ श्रेया ने सभी को भारत के असली नायकों के बेजोड़ समर्पण की याद दिलाई, लोगों से सम्मान और एकजुटता की भावना को कार्यक्रम से कहीं आगे ले जाने का आग्रह किया। मुंबई की शाम सिर्फ़ धुनों के बारे में नहीं थी- यह राष्ट्र को एक दिल से सलाम था।
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