
नूतन।
सिनेमा जगत में ब्यूटी कॉन्टेस्ट जीतक कई हसीनाओं ने बॉलीवुड पर राज किया। ऐश्वर्या राय से लेकर प्रियंका चोपड़ा तक ने देश में ही नहीं दुनियाभर में अपने नाम का परचम लहराया। आज हम आपको 60 के दशक की एक ऐसी अभिनेत्री के बारे में बताएंगे, जो देश की पहली अभिनेत्री थीं, जिन्होंने एक्ट्रेस बनने के बाद मिस इंडिया का खिताब जीता था। कभी अपने रंग-रूप को लेकर इन्हें लोगों के ताने सुनने को मिले, लोगों ने इन्हें बदसूरत कहा, लेकिन इन्होंने ना सिर्फ ब्यूटी कॉन्टेस्ट जीता बल्कि ‘बंदिनी’, ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ और ‘सुजाता’ जैसी फिल्मों से हिंदी सिनेमा में अपनी अलग पहचान बनाई। हम बात कर रहे हैं दिवंगत अभिनेत्री नूतन की, जिनका आज जन्म दिवस है। नूतन ने अपने दौर में ज्यादातर वुमन सेंट्रिक रोल ही किए और फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड भी बनाया।
चाइल्ड एक्ट्रेस के तौर पर की करियर की शुरुआत
नूतन ने बतौर चाइल्ड एक्ट्रेस ‘नल दमयंती’ से अपना करियर शुरू किया और इस बीच मिस इंडिया में हिस्सा लिया और विनर बनीं। इस टाइटल को हासिल करने वाली वह पहली एक्ट्रेस बनीं। नूतन एक फिल्मी परिवार से ताल्लुक रखती थीं, उनकी मां शोभना समर्थ अपने दौर की सबसे सफल अभिनेत्री थीं। नूतन अक्सर अपनी मां के साथ सेट पर जाया करतीं और धीरे-धीरे उनका रुझान भी फिल्मों की तरफ हो गया। 1950 में 14 साल की उम्र में उन्होंने ‘हमारी बेटी’ की, जिसका निर्माण उनकी मां शोभना समर्थ ने किया था। नूतन ने 18 साल की होने तक आगोश, परबत और शीशम जैसी फिल्में कर डालीं और ‘सीमा’ में अपने किरदार के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड भी जीता।
वुमन सेंट्रिक फिल्मे करती थीं नूतन
नूतन के स्टारडम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शादी के बाद जहां उन दिनों ज्यादातर अभिनेत्रियों की पूछ कम होने लगती थी, फिल्ममेकर्स उन्हें अपनी फिल्मों में लेने को आतुर रहते थे। लेकिन, फिल्में चुनने से पहले वह सुनिश्चित करती थीं कि फिल्म में उनका किरदार सशक्त और हीरो के बराबरी का हो। पर्दे पर नूतन ने साड़ी में लिपटी एक शांत, सरल स्वभाव की महिला का किरदार निभाया, लेकिन असल जिंदगी में वह बोल्ड भी थीं। नूतन ने अपने करियर में ज्यादातर वुमन सेंट्रिक फिल्में ही कीं। फिर चाहे वो बंदिनी हो, सुजाता या फिर सीमा। नूतन ने जब फिल्मों से ब्रेक लेने का मन बनाया तभी बिमल रॉय उनके पास बंदिनी का ऑफर लेकर पहुंचे थे। नूतन खुद भी बिमल रॉय के साथ काम करना चाहती थीं, लेकिन फिर भी उन्होंने मना कर दिया। ऐसे में उनके पति रजनीश बहल ने उन्हें यह फिल्म करने के लिए मनाया। दरअसल, नूतन उन दिनों प्रेग्नेंट थीं, जिसके चलते उन्होंने पहले बंदिनी नहीं करने का मन बनाया था। ये फिल्म जब रिलीज हुई तो उनके करियर की बेस्ट फिल्म बन गई।
जब संजीव कुमार को जड़ दिया थप्पड़
नूतन और संजीव कुमार से जुड़ा एक किस्सा बेहद चर्चा में रहा है। बात 1969 की है, अभिनेत्री ‘देवी’ की शूटिंग कर रही थीं और इसी दौरान उन्होंने गुस्से में संजीव कुमार को थप्पड़ मार दिया था। दरअसल, पहले नूतन संजीव कुमार से ज्यादा बात नहीं करती थीं, लेकिन फिर दोनों की धीरे-धीरे दोस्ती हो गई। दोनों की दोस्ती को अफेयर का नाम दिया जाने लगा। नूतन ने देवी के सेट पर ही एक मैग्जीन देखी, जिसमें उनके और संजीव के अफेयर की बात लिखी थी। इस पर नूतन का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और अभिनेता को जोरदार थप्पड़ जड़ दिया।
राजेंद्र कुमार नूतन को पसंद करते थे
नूतन को उस दौर के सबसे सफल स्टार्स में से एक राजेंद्र कुमार काफी पसंद करते थे। उन्होंने तो अभिनेत्री का हाथ तक मांग लिया था, लेकिन शोभना समर्थ इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं हुईं और उन्हें मना कर दिया। रियल लाइफ में तो राजेंद्र कुमार और नूतन का रिश्ता नहीं जुड़ पाया, लेकिन ‘साजन बिना सुहागन’ (1978) में दोनों ने जरूर पति-पत्नी का किरदार निभाया।
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