
निर्मला नागपाल था सरोज खान का असली नाम।
सरोज खान भले अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन आज भी फैंस के दिलों में उनकी अलग जगह है। अपने कोरियोग्राफ किए डांस के जरिए आज भी वह फैंस के जेहन में बसी हुई हैं। श्रीदेवी से लेकर माधुरी दीक्षित जैसी अभिनेत्रियों को अपने इशारों पर नचाने वालीं सरोज खान ने ‘गीता मेरा नाम’ से पहचान हासिल की थी और इसके बाद उन्होंने कई सुपरहिट डांस नंबर कोरियोग्राफ किए। अपनी प्रोफेशनल लाइफ में उन्होंने जितनी सफलता हासिल की, पर्सनल लाइफ उतने ही उतार-चढ़ाव से भरी रही। आज सरोज खान की डेथ एनिवर्सरी है। उन्होंने 5 साल पहले इसी दिन यानी 3 जुलाई 2020 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। इस मौके पर आपको दिवंगत डांस लेजेंड की जिंदगी के बारे में कुछ खास बातें बताते हैं।
सरोज खान का असली नाम
बॉलीवुड सितारों को अपनी उंगली पर नचाने वाली मशहूर डांस कोरियोग्राफर सरोज खान खुद ताउम्र किस्मत के इशारों पर थिरकती रहीं। सरोज खान तब महज 13 साल की थीं, जब उन्होंने खुद से उम्र में 30 साल बड़े गुरु सोहनलाल को जीवनसाथी बना लिया था। सरोज खान का असली नाम निर्मला नागपाल था। उन्होंने एक इंटरव्यू में सोहनलाल से अपनी शादी के बारे में बताया था और कहा था- ‘मैं तब स्कूल में पढ़ती थी। एक दिन मेरे डांस मास्टर ने मेरे गले में काला धागा बांध दिया और हमारी शादी हो गई।’ जब ये सब हुआ, सरोज खान को नहीं पता था कि सोहनलाल पहले से शादीशुदा थे।
जब सोहनलाल की पहली शादी की लगी भनक
सरोज खान को जब सोहनलाल की पहली शादी के बारे में पता चला वह प्रेग्नेंट थीं। उन्हें इसी दौरान पता चला कि सोहनलाल सिर्फ शादीशुदा नहीं हैं, बल्कि उनके चार बच्चे भी हैं। ऐसे में सोहनलाल ने सरोज और उनके बच्चे को अपना नाम देने से मना कर दिया। दोनों के बीच धीरे-धीरे फासला बढ़ने लगा और 1965 में दोनों अलग हो गए। सोहनलाल से सरोज खान के तीन बच्चे हुए, जिनमें से एक की मौत हो गई। सोहनलाल से अलग होने के बाद सरोज खान ने बच्चों की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली।
दूसरी शादी के लिए बदला धर्म और नाम
सोहनलाल से अलग होने के 10 साल बाद सरोज खान ने 1975 में सरदार रोशन खान से दूसरी शादी की। सरदार रोशन खान के प्यार में पड़ने पर उन्होंने धर्म बदलने में भी गुरेज नहीं किया। लेकिन, उन्होंने निकाह से पहले सरदार रोशन खान के आगे उनके बच्चों को अपना नाम देने की शर्त रखी थी। वहीं सरदार रोशन खान से शादी के बाद सरोज खान की एक बेटी हुई, जिसका नाम सुकैना खान है। सरोज खान ने इस्लाम कबूल करने पर एक बार कहा था- ‘मुझ पर कोई दवाब नहीं था। मैंने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल किया था। मुझे इससे प्रेरणा मिलती है।’
परिवार के गुजारे के लिए शुरू किया था डांस
सरोज खान ने परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद डांस करने का फैसला लिया था। परिवार के गुजारे के लिए उन्होंने बैकग्राउंड डांसर के तौर पर काम करना शुरू किया और ‘हावड़ा ब्रिज’ के गाने ‘मेहरबा’ में नजर आईं। वह अपने काम को लेकर इतनी गंभीर थीं कि जब ‘दम मारो दम’ गाने की शूटिंग हो रही थी, उनकी 8 महीने की बच्ची का निधन हो गया था। ऐसे में वह अपनी बेटी को दफनाने के बाद सीधे सेट पर पहुंच गई थीं।
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