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पहली ही फिल्म ब्लॉकबस्टर, स्टारडम से भरा मन तो बन गई संन्यासी, मुंडवाया सिर, अब…

पहली ही फिल्म ब्लॉकबस्टर, स्टारडम से भरा मन तो बन गई संन्यासी, मुंडवाया सिर, अब…

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1990 में किया था बॉलीवुड डेब्यू।

90s के दौर में बॉलीवुड पर माधुरी दीक्षित, जूही चावला, दिव्या भारती और काजोल जैसी अभिनेत्रियां राज करती थीं। ये अभिनेत्रियां किसी भी फिल्ममेकर की पहली पसंद थीं। हर बड़ा फिल्म डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और अभिनेता इनके साथ काम करना चाहता था। इसी दौर में बॉलीवुड में एक और अभिनेत्री ने अपना डेब्यू किया और पहली ही फिल्म से सफलता के झंडे गाड़ दिए। इस एक एक्ट्रेस की एंट्री से कई अभिनेत्रियों की गद्दी खतरे में दिखाई देने लगी, लेकिन अफसोस कि इनका फिल्मी करियर बहुत छोटा रहा। हम बात कर रहे हैं ‘आशिकी गर्ल’ के नाम से मशहूर अनु अग्रवाल की, जिन्होंने 1990 में महेश भट्ट द्वारा निर्देशित ब्लॉकबस्टर ‘आशिकी’ से डेब्यू किया था। फिल्म में उनके साथ राहुल रॉय लीड रोल में थे।

आशिकी से रातों-रात हो गईं मशहूर

‘आशिकी’ से फिल्मी दुनिया में कदम रखने वालीं अनु अग्रवाल की जिंदगी भी किसी दिलचस्प कहानी से कम नहीं है। अनु अग्रवाल एक सफल मॉडल हुआ करती थीं जो समाज सेविका बनना चाहती थीं, लेकिन उनकी किस्मत उन्हें बॉलीवुड तक ले आई। उन्होंने 90 के दशक में आशिकी से रातों-रात स्टारडम हासिल कर लिया। अपने सांवले रंग से उन्होंने लाखों दिल जीते। आशिकी के बाद अनु अग्रवाल ने किंग अंकल, गजब तमाशा जैसी कुछ फिल्में कीं, लेकिन ये कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकीं। हालांकि, अनु अग्रवाल को स्टारडम कुछ खास रास नहीं आया और उन्होंने खुद को फिल्मी दुनिया से दूर करने का फैसला कर लिया।

मैंने पैसों के लिए काम नहीं किया- अनु अग्रवाल

पिंकविला के साथ बातचीत में अनु अग्रवाल ने अपने इस फैसले के बारे में बात की और बताया कि 1999 में हुए अपने मेजर एक्सीडेंट से पहले ही वह संन्यासी बन गई थीं। अपनी जर्नी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा- ‘मैंने कभी भी पैसों के लिए फिल्मों में काम नहीं किया। मैं अकेले रहती थी और सिर्फ अच्छा काम करना चाहती थी। इसलिए जब मैंने वो अचीव कर लिया तो फिल्में छोड़ दीं। मैं एक गुरू जी से मिली, जिन्होंने मुझसे कहा कि हजारों लोगों में से कोई एक संन्यासी माइंडसेट के साथ पैदा होता है, जिन्हें किसी से कोई अटैचमेंट नहीं होता। मैंने कहा- मुझे तो अपनी कॉफी से बहुत लगाव है।’

शरीर टूटना जरूरी था- अनु अग्रवाल

अनु अग्रवाल आगे बताती हैं- ‘गुरू जी ने मुझे समझाया कि ये कैसे होता है। उनकी बाद सुनकर बहुत खुशी हुई, लेकिन उन्होंने जब बाल मुंडवाने वाली बात कही तो मैं इससे खुद को रिलेट नहीं कर पाई। फिर घर आकर मैंने सोचा कि अब मैं फिल्में तो करना नहीं चाहती हूं। मैं तब बॉलीवुड छोड़ ही चुकी थी। मेरा मन नहीं लग रहा था, तो आध्यात्म के बारे में पढ़ना शुरू किया। फिर भी मैं अपनी सुपरपावर नहीं तलाश पा रही थी। मैंने सब कुछ पढ़ डाला, पर लोग मेरे पीछे पड़े थे कि फिल्म साइन कर लो। मैं बहुत मेंटल स्ट्रेस में थी, तभी मेरा एक्सीडेंट हो गया। तब मेरा शरीर टूटना जरूरी था, क्योंकि मैं बॉम्ब हुआ करती थी, मैं अनु अग्रवाल थी और उससे निकलना बहुत जरूरी था।’

29 साल पहले रिलीज हुई थी अनु अग्रवाल की आखिरी फिल्म

अनु ने बातचीत के दौरान बताया कि बॉलीवुड छोड़ने के बाद वह संन्यास की राह पर निकल गईं, लंबे समय तक सिर मुंडवा कर, संन्यासी का जीवन जीती रहीं। वह बस लोगों को योग सिखाया करती थीं। इसी बीच 1999 में उनका एक्सीडेंट हो गया और 29 दिन तक वह कोमा में रहीं। हालांकि , कुछ महीनों पहले ही अनु अग्रवाल ने बॉलीवुड में वापसी करने की ख्वाहिश जाहिर की थी। अनु अग्रवाल ने इंस्टेंट बॉलीवुड के साथ बातचीत में वापसी की इच्छा जाहिर की थी। उनकी आखिरी फिल्म 29 साल पहले 1996 में रिलीज हुई थी।

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