
जावेद अख्तर।
पटकथा लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने नई दिल्ली में अफगान तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के स्वागत की कड़ी आलोचना की है। मुत्तकी भारत की छह दिवसीय यात्रा पर हैं। साल 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत में किसी तालिबान नेता की ये पहली यात्रा है। जावेद अख्तर ने इस मुद्दे को उठाते हुए एक एक्स पोस्ट साझा किया और कहा कि ये स्वागत उनके लिए सिर शर्म से झुकने जैसा है।
जावेद अख्तर ने किया ऐसा पोस्ट
सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखते हुए जावेद अख्तर ने कहा, ‘जब मैं देखता हूं कि दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी समूह तालिबान के प्रतिनिधि को उन लोगों द्वारा किस तरह सम्मान और स्वागत दिया जा रहा है जो आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो मेरा सिर शर्म से झुक जाता है।’ उन्होंने इस बात पर भी कड़ी आपत्ति जताई कि उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में स्थित दारुल उलूम देवबंद, जो दक्षिण एशिया का एक प्रभावशाली इस्लामी मदरसा है ने मुत्तकी का सम्मानपूर्वक स्वागत किया। अख्तर ने कहा, ‘देवबंद को शर्म आनी चाहिए क्योंकि उसने ऐसे इस्लामी नायक का सम्मान किया है जिसने लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा रखा है।’
यहां देखें पोस्ट
https://x.com/Javedakhtarjadu/status/1977768565517287901
कैसे संभव हुई मुत्तकी की यात्रा
मुत्तकी की यह यात्रा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति द्वारा लगाए गए यात्रा प्रतिबंध से छूट मिलने के बाद संभव हुई है। 25 जनवरी 2001 को संयुक्त राष्ट्र ने मुत्तकी को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया था और उन पर यात्रा प्रतिबंध, संपत्ति जब्ती और हथियार प्रतिबंध लगाए गए थे। भारत ने अभी तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है और काबुल में एक समावेशी सरकार के गठन की वकालत करता रहा है। मुत्तकी के दिल्ली प्रवास के दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति को लेकर विवाद पैदा हो गया। विपक्षी नेताओं ने इसे अस्वीकार्य और महिलाओं का अपमान बताया।
मुत्तकी ने दी सफाई
कई मीडिया संस्थानों ने भी इस पहलू की कड़ी आलोचना की। भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस की योजना में उनका कोई हस्तक्षेप नहीं था। विवाद बढ़ने पर मुत्तकी ने रविवार को दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने कई महिला पत्रकारों को आमंत्रित किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि महिला पत्रकारों को बाहर करने का कोई इरादा नहीं था। उन्होंने इस घटना को एक तकनीकी मुद्दा बताते हुए कहा कि पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस बहुत कम नोटिस पर आयोजित की गई थी और पत्रकारों की एक छोटी सूची तय की गई थी। मुत्तकी ने बताया, ‘हमारे सहयोगियों ने कुछ खास पत्रकारों को ही निमंत्रण भेजा था और इसके अलावा कोई और मकसद नहीं था।’
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