
शम्मी कपूर
‘तुमसा नहीं देखा’, ‘दिल देकर देखो’, ‘सिंगापुर’, ‘जंगली’, ‘कॉलेज गर्ल’, ‘प्रोफेसर’, ‘चाइना टाउन’, ‘प्यार किया तो डरना क्या’, ‘कश्मीर की कली’, ‘जानवर’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘अंदाज’ और ‘सच्चाई’ जैसी कई फिल्मों से लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाने वाले शम्मी कपूर किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। अपनी अदाकारी और शानदार डांस से लाखों को अपना दीवाने वाले कपूर परिवार के सुपरस्टार शम्मी का जन्म साल 1931, 21 अक्टूबर को हुआ था, जिनकी आज 94वीं बर्थ एनिवर्सरी है। बॉलीवुड के डांसिंग स्टार शम्मी कपूर ने अपने यूनिक डांसिंग स्टाइल से सबको दीवाना बना दिया था। उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और फिर जूनियर आर्टिस्ट बन गए, लेकिन उनकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था। इतना ही नहीं शम्मी कपूर ने अपने भाई राज कपूर की फिल्म ‘बावरे नयन’ में काम कर चुकी एक्ट्रेस से शादी की, जो उनसे एक साल छोटी थीं।
सुपरस्टार पढ़ाई छोड़ बने जूनियर आर्टिस्ट
शम्मी के जन्म के कुछ समय बाद पृथ्वीराज कपूर परिवार को लेकर कोलकाता चले गए थे, जहां वो 7 से 8 साल रहे। फिर 1944 में मुंबई आ गए और मुंबई में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की। उस वक्त शम्मी 13 साल के थे और पृथ्वी थिएटर के प्ले शकुंतला में वो भरत का रोल प्ले करते थे, जिस वजह से उनकी पढा़ई पर असर हुआ और उनका स्कूल छूट गया। दरअसल, राज कपूर चाहते थे कि शम्मी छुट्टी लेकर प्ले की रिहर्सल करें, लेकिन स्कूल ने छुट्टी देने से मना कर दिया। फिर कॉलेज में दाखिला हुआ तो शम्मी का मन पढ़ाई में नहीं लगाता था। ऐसे में उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया और घर वापस आ गए। उन्होंने अपने पिता से ये बात शेयर की और पृथ्वीराज कपूर ने उन्हें फिर से थिएटर आने की सलाह दी। अगले दिन शम्मी थिएटर पहुंचे, जहां उन्हें 50 रुपये में जूनियर आर्टिस्ट के लिए काम करना शुरू किया।
शम्मी कपूर की गीता बाली से हुई थी शादी
शम्मी की गीता बाली से मुलाकात उनके डायरेक्टर दोस्त हरि वालिया ने फिल्म ‘कॉफी हाउस’ (1957) की शूटिंग के दौरान करवाई थी। बाद में ‘रंगीन रातें’ (1956) की शूटिंग के दौरान हुई। इसमें गीता बाली का कैमियो था। इस दौरान दोनों को प्यार हो गया और उन्होंने ने ठान लिया कि शादी करनी है तो गीता बाली से ही करनी है। हालांकि, गीता शादी की बात को टालती रहीं। आगे आने वाले तीन महीनों तक ये सिलसिला जारी रहा। लेकिन, 23 अगस्त 1955 की शाम शम्मी को उन्होंने शादी के लिए हां कह दिया। लेकिन, शर्त यह थी कि शादी आज ही होगी और अभी, नहीं तो कभी नहीं। यह सुन उन्हें कुछ समझ नहीं आया और सुपरस्टार ने अपने दोस्त हरि वालिया को बुलाया। तीनों मंदिर पहुंचे, लेकिन पंडित जी ने कहा कि मंदिर के द्वार अब बंद हो चुके हैं, सुबह मंदिर खुलेगा। शम्मी और गीता, हरि ने एक रात इंतजार किया और 24 अगस्त 1955 को सुबह 4-5 बजे बाण गंगा मंदिर गए। पुजारी ने मंदिर के पट खोले और शम्मी कपूर-गीता बाली की शादी हो गई। दोनों ने बड़ी फिल्मी स्टाइल में शादी की थी। जी हां, जब गीता की मांग भरने के लिए सिंदूर नहीं था तो उन्होंने अपने पर्स से लिपस्टिक निकाली और उस लिपस्टिक से शम्मी ने गीता की मांग भर दी।
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