
कैलाश खेर।
देश के मशहूर और लोकप्रिय टीवी शो ‘आप की अदालत’ में इस बार गायक, संगीतकार और आध्यात्मिक विचारक कैलाश खेर मेहमान बनकर पहुंचे। रजत शर्मा के तीखे सवालों का सामना करते हुए कैलाश खेर ने अपने जीवन के कई अनसुने और भावुक किस्से साझा किए। बॉलीवुड में एक लंबा और संघर्षपूर्ण सफर तय करने वाले कैलाश खेर ने बताया कि उन्होंने कैसे एक-एक कदम पर असफलताओं का सामना किया और जीवन में कई बार टूटने की कगार पर पहुंच गए। बातचीत के दौरान उन्होंने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि एक समय ऐसा आया था जब सिर्फ विफल हो रहे थे और कई चोटें खा चुके थे।
‘हालातों से सीखा’
कैलाश ने कहा कि यही मोड़ उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट बन गया। वहां से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और धीरे-धीरे सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। संगीत, साधना और आत्मविश्वास के बल पर उन्होंने खुद को फिर से खड़ा किया और आज वे न सिर्फ एक सफल गायक हैं, बल्कि लाखों लोगों के प्रेरणास्त्रोत भी बन चुके हैं। जब रजत शर्मा ने कैलाश खेर से सवाल किया, ‘लेकिन जब गए तो बने क्या? दर्जी बने, ट्रक ड्राइवर बने, प्रिंटिंग प्रेस में काम किया। चार्टर्ड अकाउंटेंट की असिस्टेंट बने। इसके जवाब में कैलाश ने कहा, ‘हमको ऐसा लगता है जैसे तुमने उस्तादों से सीखा है। हमने हालातों से सीखा है। तो अब मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं इन्हीं में से निकला हूं और अचानक मेरे दाता ने बस ऐसे थोड़ा धो दिया, जैसे डार्क रूम में नेगेटिव धोते थे और क्लियर पिक्चर आ जाती थी।’
झुग्गी में किया गुजारा
रजत शर्मा ने आगे पूछा, ‘यह तो सही है कि मुसीबतों से गुजरना पड़ा, कभी झुग्गी में रहना पड़ा, कभी सड़कों पर कपड़े धोने पड़े, कभी खाने को नहीं था और फिर आप एक्सपोर्टर बनना चाहते थे?’ कैलाश ने कहा, ‘साहब बनना था और बना भी। एक्सपोर्टर हैमबर्ग एक शहर है जर्मनी में हैमबर्ग में भेजता था और यहां पर जो मदर टेरेसा साड़ी है, हैंड इन हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग के होते हैं तो वो सब हम हैंडीक्राफ्ट होते हैं। थोड़े आर्ट-इफैक्ट्स होते हैं, टेबल लैंप होते हैं, वो वॉल हैंगिंग होते हैं। वो तो यह सब हम राजस्थान, जोधपुर, जयपुर और हमारे यहां भी लाल किला और सुंदरनगर इन जगहों में इसके डीलर थे। इनसे हम कलेक्ट करते थे और भिजवाते थे तो मेरा बड़ा सही चल गया जुगाड़बाजी। अब हुआ क्या साहब वो फिर एक हमारा शिपमेंट लास्ट में जब हमने एडवांस देकर और हम थोड़ा मन ही मन सोचने लगे कि अब बिल्कुल सेट चल रही है गाड़ी, अब मैं बन गया हूं कामयाब और अब मैंने एडवांस भी दे दिया।’
ऐसे बदला जीवन
आगे सिंगर ने बताया, ‘नोएडा में अट्टा पीर के पास। मुझे याद है वो जगह का नाम लोगों ने लिया था तब। लेकिन कहते हैं कि कश्तियां लाख नजदीक साहिल सही पर खुदा फिर कोई चाल चल जाएगा। तूने मखमूर नजरों से देखा तो है क्या करोगे अगर दिल मचल जाएगा। तो वो हुआ जो भी जिस कार्य में सफल होता है वो उस कार्य को ही खोल लेता है। जैसे जिसका अपना घर न हो वो प्रॉपर्टी डीलर बनता है। जो कभी आईएएस न बने वो आईएएस बनने का एक इंस्टिट्यूट खोल लेता है। अच्छा दिल्ली में यह विशेष इसके ऊपर छूट भी है। दिल्ली को भगवान ने और वरदान दिया है। इसको मैं जुगाड़ नगर कहता हूं। दिल्ली को तो यहां बहुत जुगाड़। तो मैंने जब जिस आयु में घर छोड़ा उस आयु में पता भी नहीं था कि, घर छोड़ने के बाद चुनौतियां क्या क्या आती हैं। तो ऐसा वाला काम हुआ कि छोड़ा था जुनून में घर। लेकिन वहां पर नून तेल, लकड़ी नहीं अटका दिया कि पहले सर्वाइव होकर दिखा। पहले जिंदा रह के दिखा तो कई बार। तो साहब मैंने इतने ओड जॉब्स किए हैं कि कई बार तो मैं सात साल तक मेरे भोजन का भी कोई ठिकाना ही नहीं था क्योंकि ओड टाइमिंग्स पर मैं जॉब करता था। अच्छा जिनके पास कोई डिग्री नहीं होती उनका फिर कोई ना टाइम होता, ना कोई उनका शेड्यूल होता और उन पर सब लोग रौब झाड़ते हुए काम लेते हैं। तो वैसे से ट्रेनिंग हमारी अलग तरीके से हुई साहब।
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