
विनय पाठक।
बॉलीवुड में जब भी सहज, सादगी भरे और दिल से जुड़े अभिनय की बात होती है, तो कुछ नाम खुद-ब-खुद जेहन में आ जाते हैं। इन्हीं में एक नाम है विनय पाठक का। आरा, बिहार में जन्मे विनय पाठक ने अपने अभिनय से यह साबित कर दिया कि यदि जुनून हो तो रास्ता खुद-ब-खुद बनता चला जाता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि विनय पाठक की पहली पसंद एक्टिंग नहीं थी। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक कॉरपोरेट प्रोफेशनल बनने की सोच के साथ की थी। उनकी पढ़ाई-लिखाई में अच्छी पकड़ थी और इसी कारण उन्होंने अमेरिका की स्टोनी ब्रूक यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था, जहां वे MBA की पढ़ाई करने गए थे, लेकिन वहां जाकर उन्हें महसूस हुआ कि उनकी असली पहचान आंकड़ों और रिपोर्ट्स में नहीं, बल्कि कला और अभिव्यक्ति में छुपी हुई है।
कैसे हुआ एक्टिंग की ओर झुकाव?
अमेरिका में रहते हुए विनय का झुकाव थिएटर और परफॉर्मिंग आर्ट्स की ओर होने लगा। धीरे-धीरे क्लासरूम से थिएटर की स्टेज उनकी असली क्लास बन गई। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने एक्टिंग की ट्रेनिंग भी शुरू की और जल्द ही उन्हें यकीन हो गया कि उनका दिल परदे पर जीवंत किरदार निभाने में ही लगता है। उन्होंने अपनी MBA की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और पूरी तरह से एक्टिंग को अपना जीवन बना लिया। भारत लौटने के बाद विनय ने दूरदर्शन के शो ‘हिप हिप हुर्रे’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके अभिनय की खास बात यह रही कि वे हर किरदार को सहजता और गहराई से निभाते हैं, चाहे वह ‘बहेनजी टाइप’ का एक आम आदमी हो या फिर ‘भेजा फ्राई’ का मासूम भारत भूषण।
लग गई थी गुटका खाने की आदत
‘भेजा फ्राई’ (2007) उनकी करियर का टर्निंग पॉइंट बना। इस फिल्म में उनके कॉमिक टाइमिंग और इनोसेंस ने दर्शकों को दीवाना बना दिया। इसके बाद ‘दसविदानिया’, ‘छोटे नए बड़े सपने’, ‘गौर हरि दास्तान’ जैसी कई फिल्मों में उनके काम को सराहा गया। विनय पाठक को ‘बिहारी बाबू’ कहा जाना सिर्फ उनके जन्मस्थान की वजह से नहीं है, बल्कि इसलिए भी कि उन्होंने बिहारी संस्कृति, ठहराव और आत्मीयता को अपने अभिनय में रचा-बसा लिया है। वह अपने हर किरदार में जमीन से जुड़ा एक आम इंसान नजर आते हैं, जो दर्शकों को तुरंत अपने जैसा लगने लगता है। वैसे आपको बता दें, कभी एक्टर को गुटका खाने की भी आदत थी, जिसके बारे में इंडिया टीवी से बात करते हुए उन्होंने बताया कि वो उन्हें उनके पिता से मिली थी, जिसे बाद में उन्होंने छोड़ दिया।
विनय पाठक।
इस फिल्म की हो रही चर्चा
आज विनय न सिर्फ एक एक्सपर्ट एक्टर हैं, बल्कि थिएटर डायरेक्टर, लेखक और प्रोड्यूसर के तौर पर भी उनकी गिनती होती है। वह एक्टिंग के स्कूलों में गेस्ट लेक्चर देते हैं और नए कलाकारों को बताते हैं कि कैसे कला के प्रति ईमानदारी ही उन्हें टिकाऊ बनाती है। MBA की डिग्री भले ही उन्होंने अधूरी छोड़ी हो, लेकिन अभिनय की जो शिक्षा उन्होंने जिंदगी से ली, वह उन्हें आज इंडस्ट्री का ‘एक्टिंग गुरु’ बना चुकी है। हाल ही में एक्टर की फिल्म ‘चिड़िया’ रिलीज हुई और इसके अलावा वो वेब सीरीज ‘ग्राम चिकित्सालय’ में नजर आए। दोनों में ही उनकी एक्टिंग की सराहना की जा रही है।
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