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Wondrous Wednesday: गुर्बत और गुमनामी में काट दी जिंदगी, लेकिन मौत के बाद मिली पहचान

Wondrous Wednesday: गुर्बत और गुमनामी में काट दी जिंदगी, लेकिन मौत के बाद मिली पहचान

Image Source : INSTAGRAM
असद भोपाली

बॉलीवुड में सबसे ज्यादा पहचान मिलती है पर्दे पर दिखने वाले एक्टर्स को। लेकिन एक फिल्म और एक्टर्स को पहचान दिलाने के लिए कला की दुनिया के कई चुनिंदा सितारे इसमें अपना हुनर झोंकते हैं। राइटर से लेकर म्यूजिक कंपोजर और डायरेक्टर से लेकर मेकअप-लाइटमैन तक को अपनी कला की समझ का प्रमाण देना पड़ता है। लेकिन भले ही फिल्म हिट हो जाए तब भी कुछ ही लोगों को इसका फल मिलता है। खासकर फिल्मी गीतों के कलमकारों का हुनर पर्दे के पीछे ही दबा रहता है। एक ऐसा ही कलम का सिपाही बॉलीवुड में भी हुआ है जिसने अपने गानों से लोगों को दीवाना बनाया और गुमनामी की जिंदगी जीता रहा। इतना ही नहीं कलम के इस जादूगर ने कई सुपरहिट गाने लिखे लेकिन उन्हें उनके हक की शोहरत जीते-जी नहीं मिल पाई। हम बात कर रहे हैं गीतकार रहे असद भोपाली की, जिन्होंने अपने 40 साल के करियर में 100 से ज्यादा फिल्मों के गाने लिखे और 400 से ज्यादा गानों में अपनी धूम मचाई। लेकिन उन्हें कभी भी इसका फल नहीं मिला। खास बात ये है कि जब असद भोपाली को शोहरत ने याद किया तब उनकी उम्र ढल चुकी थी और खुद स्टेज पर अवॉर्ड लेने भी नहीं जा सके थे। 

खुद की जिंदगी पर लिखा गाना

10 जुलाई 1921 को मध्यप्रदेश के शहर भोपाल में जन्मे असद भोपाली ने करीब 40 साल तक अपने कलम का जादू फूंका और सैकड़ाभर फिल्मों के गानों में जान डाल दी। करीब 400 गाने लिखने के बाद भी असद को उनके हक की पहचान नहीं मिली। अपनी ही जिंदगी से उक्ताकर असद ने एक गाना लिखा जो आज भी एक क्लासिक और कल्ट माना जाता है। इस गाने के बोल थे ‘दिल का सूना साज तराना ढूंढेगा, मुझको मेरे बाद जमाना ढूंढेगा, मेरे दिल की आग बंटेंगी दुनिया के परवानों में, वक्त मेरे गीतों का खजाना ढूंढेगा।’ सलमान खान को स्टार बनाने वाली उनके करियर की दूसरी फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ के गाने सभी सुपरहिट रहे थे। इन सभी गानों को असद भोपाली ने ही लिखा था। पूरे करियर में कई बेहतरीन गाने देने के बाद भी उन्हें अवॉर्ड नहीं मिल पाया। लेकिन इस फिल्म के लिए जब उन्हें फिल्म फेयर के अवॉर्ड के लिए चुना गया तो वो जिंदगी के उस मोड़ पर आ गए थे जब वे स्टेज पर भी नहीं जा पा रहे थे। 

शायरी से मोहब्बत ने बताया गीतकार

असद भोपाली जैसे जवान हुए तो उन्हें शायरी की अपनी मोहब्बत में ही करियर के रास्ते सूझे। खुद भी शायरी करने लगे तो मुशायरों में जाने का फैसला लिया। खुद भी अपनी डायरी लिए स्टेज पर जाने लगे और खूब तालियां बटोरते। करीब 6 साल तक स्टेज पर खूब तालियां बटोरने वाले असद भोपाली जब 28 साल के हुए तो उनके दिल के अंदर फिल्मी दुनिया के लिए हिलोरें उठने लगीं। असद को फिल्मों में अपनी बात कहने की दिलचस्पी जागी और यहां काम करने के ख्वाब देखने लगे लेकिन मुंबई आने की हिम्मत नहीं कर पाए। इसी दौरान जब असद एक मुशायरे में अपनी शायरी पढ़ रहे थे तो लोगों की तालियां थमने का नाम नहीं ले रही थी। इसी मुशायरे में बैठे थे फजली ब्रदर्स और निर्देशक हसनैन। दोनों ने असद की गंभीर शायरी और अनोखा अंदाज देखा और खुश हो गए। इसके बाद असद को अपनी फिल्म ‘दुनिया’ के लिए बतौर गीतकार साइन कर लिया। जिसके एवज में उन्हें महज 500 रुपये दिए गए। यहीं से असद के फिल्मी दुनिया के सफर की शुरुआत हुई। 

पहली फिल्म के गानों ने बीआर चोपड़ा से मिलवाया

असद ने अपनी पहली फिल्म दुनिया में गाने लिखे जिनके 2 गाने  ‘रोना है तो चुपके चुपके रो’ और सुरैया ‘अरमान लूटे दिल टूट गया’ सुपरहिट रहे। इन गानों को सुनकर ही बीआर चोपड़ा ने उन्हें अपनी फिल्म ‘अफसाना’ के लिए कास्ट कर लिया। इस फिल्म में असद ने 6 गाने लिखे और सुपरहिट रहे। इतना ही नहीं इन गानों को आज भी याद किया जाता है। इसके बाद असद का फिल्मी करियर परवान चढ़ने लगा और 100 से ज्यादा फिल्मों में 400 से ज्यादा गाने लिखे। हालांकि उन्हें पूरे करियर में कोई खास पहचान इन गानों ने नहीं दिलाई, सिवाये एक चीज के वो है लोगों का प्यार। लोगों को उनके गाने खूब पसंद आते और आज भी दिलों पर राज करते हैं। 

सलमान खान की फिल्म के गाने भी रहे हिट

असद भोपाली ने साल 1989 में रिलीज हुई फिल्म ‘मैंने प्यार किया’  के गानों को अपनी कलम से नवाजा और सभी सुपरहिट करा दिए। लेकिन ये वो दौर था जब असद अपनी जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर पहुंच गए थे। अब जाकर दुनिया को लगा कि असद भी खिताबों और नवाजों के हकदार हैं। लेकिन अब बहुत देर हो गई थी। असद को इस फिल्म के गानों के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। लेकिन अपनी जिंदगी के अंतिम दिनों में असद इस अवॉर्ड को लेने के लिए स्टेज पर भी जाने में असमर्थ थे। आज भी असद के गानों को लोग पसंद करते हैं और दिलों में छाए रहते है। असद का 1990 में निधन हो गया और ये कलम का सिपाही अपने विचारों से इस धरती को पोषित कर गया। आज भी असद के गानों पर लोग दिल हारते हैं।

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